ताशकंद समझौता क्या है ।। Tashkand Samjhauta Kya Hai

ताशकंद समझौता क्या है ( Tashkand Samjhauta Kya Hai )

ताशकंद समझौता वास्तविक रूप से भारत और पाकिस्तान के मध्य युद्ध की विराम के बाद, युद्ध को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए किया गया समझौता था।

ताशकंद समझौता क्या है
ताशकंद समझौता क्या है

ताशकंद समझौते की आवश्यकता क्यों थी ( Tashkand Samjhote Ki Avashyakta Kyon Thi )

सन् 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध  हुआ। इस युद्ध में भारत की सेना ने पूरी शक्ति के साथ पाकिस्तान की सेना को खदेड़ते हुए भारतीय सेना पाकिस्तान के अंदर लाहौर तक पहुंच गई थी। और पाकिस्तान के अधिकांश भू-भाग पर कब्जा कर लिया था।

सन् 1965 के युद्ध के विराम के बावजूद भी, युद्ध क्षेत्रों में दोनो देशों की झड़प बंद नहीं हुई थी। युद्ध क्षेत्र की स्थिति बहुत बुरी हो गई थी। युद्ध की इसी स्थिति को समाप्त करने के लिए तत्कालीन सोवियत संघ रूस को इस युद्ध में बीच बचाव के लिए विशेष रुप से रुचि दिखानी पड़ी।

युद्ध विराम के बाद शास्त्रीजी ने कहा था कि- “हमने पूरी ताकत से युद्ध किया है, अब हमें शांति के लिए भी पूरी ताकत लगानी है।”

ताशकंद समझौता कहां हुआ था ( Tashkand Samjhauta Kahan Hua Tha )

ताशकंद समझौता संयुक्त रूप से प्रकाशित हुआ था। यह समझौता तत्कालीन सोवियत रूस के ताशकंद नाम के शहर में हुई थी। इसलिए इसे ताशकंद समझौता के नाम से जाना जाता है।

ताशकंद समझौता कब हुआ था ( Tashkand Samjhauta Kab Hua Tha )

‘ताशकंद सम्मेलन’ सोवियत रूस के प्रधानमंत्री द्वारा आयोजित किया गया था। सोवियत संघ ने दोनों पक्षों को बातचीत के लिए ताशकंद आमंत्रित किया। 4 जनवरी 1966 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान तथा भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के मध्य ताशकंद में बातचीत प्रारंभ हुई। दोनो देशों के प्रतिनिधियों द्वारा की गई एक लंबी बहस और बातचीत के बाद, अंत में  10 जनवरी  सन 1966 ईo को इस समझौते पर दोनों पक्षों की सहमति के साथ दोनों प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए।

ताशकंद समझौता से पूर्व युद्ध होने के मुख्य कारण क्या था ( Tashkand Samjhauta se Purv Yuddh Hone ke Mukhya Karan Kya Tha )

अगस्त 1965 के पहले सप्ताह में पाकिस्तान के 30-40 हजार सैनिकों ने कश्मीर से लगी भारतीय सीमा में घुसने के लिए ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ चलाया था। इनका लक्ष्य कश्मीर के चार ऊंचाई वाले इलाकों गुलमर्ग, पीरपंजाल, उरी और बारामूला पर कब्जा करना था, ताकि यदि भारी लड़ाई छिड़े तो पाकिस्तान की सेना ऊंचाई पर बैठकर भारत की सेना के दांत खट्टे किये जा सके और अंत में कश्मीर पर कब्जा किया जा सके।

भारत ने पाकिस्तान की इस चाल को भांप लिया और ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ को फेल कर दिया। इसी कारण दोनों देशों के बीच 1965 की लड़ाई शुरू हुई।

ताशकंद समझौता क्या है

ताशकंद समझौता की प्रमुख शर्तें एवम् प्रावधान ( Tashkand Samjhote ki Pramukh Sharten Aur Pravdhan )

  • भारत और पाकिस्तान अपनी-अपनी शक्ति का न तो प्रदर्शन करेंगे और न ही प्रयोग करेंगे, और अपने-अपने झगड़ों को शांतिपूर्ण ढंग से तय करेंगे।
  • दोनो देशों की सेनाएं 5 अगस्त 1965 के पूर्व जिस स्थिति में थी, दोनों देश 25 फरवरी 1966 तक अपनी सेना को वापस उसी स्थिति में बुला लेंगे तथा दोनों पक्ष युद्धविराम की शर्तों का पालन करेंगे।
  • दोनों देशों के बीच संचार माध्यमों को फिर से सुचारू कर दी जाएगी। तथा दोनों देश अपने पड़ोसी से अच्छे संबंध का निर्माण करने पर सहमति जताएगी।
  • इन दोनों देशों के बीच आपसी भलाई के मामलों में ऊंची  बातचीत एवम् अन्य स्तरों पर बातचीत जारी रहेगी।
  • इस समझौते में भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने की भी सहमति जताई।
  • दोनों देश एक-दूसरे के विरुद्ध प्रचार को रोकने तथा पुनः दोनों देशों के बीच राजनैतिक संबंध फिर से स्थापित कर दिए जाएंगे।
  • एक दूसरे के बीच प्रचार के कार्य को फिर से सुचारू रूप से कर दिया जाएगा।
  • आर्थिक एवं व्यापारिक संबंधों के आदान-प्रदान की फिर से स्थापना तथा सांस्कृतिक संबंधों को मधुर बनाने पर भी फिर से विचार किया जाएगा।
  • शरणार्थियों की समस्याओं तथा अवैध प्रवासी प्रश्न पर विचार विमर्श जारी रखा जाएगा। और ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न की जाएंगी कि लोगों का निर्गमन बंद हो।
  • हाल के युद्ध में जब्त की गई, एक दूसरे की संपत्ति को लौटाने के प्रश्न पर विचार किया जाएगा।

ताशकंद समझौता का प्रभाव ( Tashkand Samjhote Ka Prabhav Purn Viram )

  • इस समझौते के बाद दोनों पक्षों की सेनाएं उस सीमा रेखा पर वापस लौट गई, जहां पर युद्ध के पूर्व में तैनात थी।
  • परंतु इस समझौते से भारत-पाकिस्तान के दीर्घकालीन संबंधों पर बहुत बड़ा और गहरा प्रभाव पड़ा।
  • इस समझौते के बाद युद्ध में जब्त की गई एक-दूसरे की संपत्ति एवम् भू- भाग को भी एक-दूसरे को वापस लौटा दिया गया।

ताशकंद समझौता इतिहास में क्यों अंकित हो गया? ( Tashkand Samjhauta itihaas Mein kyon Ankit Ho Gaya )

इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ ही घंटों के बाद भारत के राष्ट्रभक्त प्रधानमंत्री पंडित लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद में ही रहस्यमई तरीके से दुखद मृत्यु हो गई, इसी प्रमुख कारण से ताशकंद समझौता इतिहास के पटल में अंकित हो गया।

प्रश्न: ताशकंद समझौता को ताशकंद समझौता नाम से क्यों जाना जाता है?

उत्तर: यह समझौता तत्कालीन सोवियत रूस के ताशकंद नाम के शहर में हुई थी इसलिए इसे ताशकंद समझौता के नाम से जाना जाता है।

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