समुच्चयबोधक किसे कहते हैं (परिभाषा, भेद और उदाहरण)

प्रिय पाठक! Allhindi के इस नये लेख में आपका स्वागत हैं। आज की इस लेख में आप समुच्चयबोधक किसे कहते हैं, इसकी परिभाषा, भेद तथा उदाहरण के बारे में आप सभी को विस्तार से बताया जायेगा। समुच्चयबोधक को जानने से पहले आप सभी संबंधबोधक के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त कर ले। क्योकि संबंधबोधक को समझे बिना आप समुच्चयबोधक को नहीं समझ पाएंगे।

समुच्चयबोधक किसे कहते हैं

समुच्चयबोधक किसे कहते हैं

समुच्चयबोधक (Conjunction):- दो शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों को, समुच्चयबोधक कहते हैं।
जैसे: और, तथा, किंतु, परंतु, क्योंकि, अतः, इसलिए, लेकिन, अथवा, यदि, तो, ताकि, चूँकि आदि।

उदाहरण:- संदीप और प्रदीप सो रहे हैं।
चोर भागा किंतु पकड़ा गया।
आज रविवार है, इसलिए स्कूल बंद है।

योजक अव्यय किसे कहते हैं

योजक अव्यय:- समुच्चयबोधक अव्यय दो शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को जोड़ने का कार्य करता है अतः इसे योजक अव्यय भी कहते हैं

समुच्चयबोधक के भेद

समुच्चयबोधक के निम्नलिखित दो भेद होते हैं-

1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक
2. व्यधिकरणसमुच्चयबोधक

समुच्चयबोधक किसे कहते हैं

समानाधिकरण समुच्चयबोधक किसे कहते हैं

समानाधिकरण समुच्चयबोधक: जो समुच्चयबोधक अव्यय दो स्वतंत्र वाक्यों या उपवाक्यों को जोड़ते हैं, उन्हें समानाधिकरण सममुच्चबोधक अव्यय कहा जाता है। जैसे: और, अन्यथा, परंतु, अतः, या, बल्कि, इसलिए, व, एवं, लेकिन आदि।

उदाहरण:- सचिन और पूजा भाई-बहन है।
महेश दौड़ा किंतु बस छूट गई।

समानाधिकरण समुच्चयबोधक के प्रकार:- समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय निम्नलिखित चार प्रकार के होते हैं-

  • संयोजक
  • विकल्पसूचक
  • विरोधसूचक
  • परिमाणसूचक

संयोजक:- संयोजक दो शब्दों या दो वाक्यों को आपस में जोड़ते हैं। तथा, जोकि, अर्थात्, और, एवं शब्द संयोजक कहलाते हैं।

उदाहरण:- कविता, अनीता तथा राधा साथ-साथ विद्यालय गईं।
गौरव पढ़ रहा है और राधा सो रही है।

विकल्पसूचक: विकल्पसूचक शब्द दो शब्दों या वाक्यों में विकल्प बताते हैं। या, अथवा, वा, चाहे शब्द विकल्पसूचक कहलाते हैं।

उदाहरण:- आप जाओगे या में चला जाऊँ।
पहला प्रश्न करो या दूसरा।

(ग) विरोधसूचक:- विरोधदर्शक दो वाक्यों में विरोध दर्शाते हैं किंतु, लेकिन, परंतु, पर, बल्कि, अपितु शब्द विरोधदर्शक कहलाते हैं।

उदाहरण:- वह निर्धन है परंतु ईमानदार है।
बाप ने अपने बेटे को बहुत समझाया पर उसके कान पर जूं तक नहीं रेंगी।

(घ) परिमाणसूचक:- परिणामदर्शक दो वाक्यों में कारण और परिणाम बताते हैं। इसलिए, ताकि, अतः, अन्यथा, नहीं तो शब्द परिणामदर्शक कहलाते हैं।

उदाहरण:- हनीफ ने मेहनत नहीं की इसलिए फेल हो गया।
उसने बहुत मेहनत की अतः वह प्रथम आया।

2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक:- जो समुच्चयबोधक एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्यों को आपस में जोड़ते हैं, उन्हें व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। यदि तो, क्योंकि, ताकि, कि, यद्यपि तथापि आदि।

उदाहरण:- अध्यापक ने कहा कि अपना पाठ पढ़ो।
यदि तुम जाना चाहो तो जा सकते हो।
यद्यपि भोला गरीब है, तथापि ईमानदार है।

व्याधिकरण समुच्चयबोधक के प्रकार:- व्याधिकरण समुच्चयबोधक भी चार प्रकार के होते हैं-

  • हेतुबोधक
  • संकेतबोधक
  • स्वरूपबोधक
  • उद्देश्यबोधक

(क) हेतुबोधक:- हेतुबोधक अव्यय वाक्यों में क्रिया के कारण को प्रकट करते हैं। चूँकि, क्योंकि, कि, इसलिए, इस कारण शब्द हेतुबोधक हैं।

उदाहरण:- वह जल्दी सो गया क्योंकि उसे सुबह जल्दी जाना था।
बूढ़ा कमज़ोर था इसलिए जल्दी जाना था।

(ख) संकेतबोधक:- जहाँ दो वाक्यों के आरंभ में अव्यय द्वारा अगले अव्यय का संकेत पाया जाता है, उसे ‘संकेतवाचक’ कहते हैं।यदि, तो, चाहे भी, यद्यपि, तथापि शब्द संकेतबोधक है।

उदाहरण:- यदि तुम अपना भला चाहते हो तो उसको तंग मत करो।
यदि सफलता प्राप्त करना चाहते हो तो जी तोड़ परिश्रम करो।

(ग) स्वरूपबोधक:- जो अव्यय पहले प्रयुक्त वाक्य, शब्द या शब्दांश का अर्थ स्पष्ट करते हैं, उन्हें ‘स्वरूपबोधक’ कहते हैं। अर्थात, यानि, मानो, यहाँ तक शब्द स्वरूपबोधक हैं।

उदाहरण:- वह मितभाषी अर्थात् कम बोलने वाला है।
वह अहिंसावादी बानी बापू के पदचिह्नों पर चलने वाला है।

(घ) उद्देश्यबोधक:- जिस अव्यय से उद्देश्य व्यक्त होता है, उसे उद्देश्यबोधक कहते हैं।ताकि, जिससे कि शब्द ‘उद्देश्यबोधक’ हैं।

उदाहरण:- जल्दी चलो ताकि बस पकड़ सको।
अच्छी नौकरी करो जिससे कि तुम्हारा गुजारा हो सके।

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