नमस्कार दोस्तों, allhindi.co.in के नए लेख में आप सभी का स्वागत है| आज की इस लेख में आप रासायनिक समीकरण किसे कहते हैं, संतुलित समीकरण किसे कहते है, रासायनिक समीकरण को लिखने की विधि, रासायनिक समीकरण का महत्व, रासायनिक समीकरण की सीमाए इत्यादि के बारे में जानेंगे|

रासायनिक समीकरण किसे कहते हैं |
रासायनिक समीकरण Chemical Equation: किसी रासायनिक अभिक्रिया का उसमें भाग लेने वाले पदार्थों (क्रियाकारक एवं उत्पाद) के प्रतीकों तथा सूत्रों के माध्यम से संक्षिप्त प्रदर्शन रासायनिक समीकरण कहलाता है।रासायनिक अभिक्रिया में प्रयुक्त पदार्थ अभिकारक या क्रियाकारक (Reactants) तथा उत्पन्न होने वाले पदार्थ उत्पाद (Products) कहलाते हैं।
उदाहरण: मेथेन (CH4), का वायु (O2) के आधिक्य में दहन करने में दहन करने पर कार्बन डाइ ऑक्साइड (CH2) तथा जल (H2O) बनते है| इस अभिक्रिया को रासायनिक समीकरण के द्वारा निम्न प्रकार से व्यक्त किया जाता है
CH4(g) + 2O2(g) ——————— ⟶ CO2(g) + 2H2O(g)
भौतिक परिवर्तन किसे कहते है | bhautik parivartan kise kahate hain
हमारे चारों ओर सदैव अनेक परिवर्तन घटित होते रहते हैं, इनमें से कुछ परिवर्तन केवल पदार्थ की भौतिक अवस्था, आकार एवं भौतिक गुणों को परिवर्तित करते हैं, परन्तु उनके रासायनिक संघटन एवं गुणों, आदि पर कोई प्रभाव नहीं डालते। ऐसे परिवर्तन भौतिक परिवर्तन (Physical changes) कहलाते हैं।
उदाहरण– बर्फ का गलना, जल का जमना, जल का वाष्पीकरण, आदि।
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रासायनिक परिवर्तन किसे कहते है | rasayanik parivartan kise kahate hain
कुछ परिवर्तन ऐसे होते हैं, जो पदार्थों के रासायनिक संघटन एवं गुणों को भी परिवर्तित कर देते हैं। ऐसे परिवर्तनों को रासायनिक परिवर्तन (Chemical changes) या अभिक्रियाएँ (Reactions) कहा जाता है।
उदाहरण-दूध का फटना, जंग का लगना, किण्वन, दहन, संश्लेषण, परमाणु विस्फोट, आदि। सभी रासायनिक परिवर्तन रासायनिक अभिक्रियाओं द्वारा पूर्ण (सम्पन्न) होते हैं तथा इन्हें रासायनिक समीकरणों की सहायता से प्रदर्शित किया जाता है।
रासायनिक समीकरण लिखने की विधि
किसी भी रासायनिक अभिक्रिया को रासायनिक समीकरण में परिवर्तित करने के लिए निम्नलिखित तथ्यों की जानकारी आवश्यक है।
(i) अभिक्रिया में भाग लेने वाले सभी क्रियाकारकों तथा उत्पादों के अणुसूत्र (या प्रतीक) ज्ञात होने चाहिए।
(ii) रासायनिक समीकरण में पदार्थ सदैव उनके आण्विक रूप में लिखे जाते हैं। उदाहरण—हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, ब्रोमीन, आयोडीन, क्लोरीन आदि को क्रमश: H2, O2, N2, Br2, I2, Cl2 के रूप में लिखा जाता है, क्योंकि ये सभी द्विपरमाणुक गैसें हैं।
(iii) एकपरमाणुक तत्वों को रासायनिक समीकरण में उनके प्रतीकों (संकेतों) द्वारा दर्शाया जाता है। उदाहरण-सोडियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, जिंक, आयरन, कॉपर आदि को क्रमश: Na, K, Mg, Zn, Fe, Cu के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
मूल समीकरण या ढाँचा समीकरण लिखना Writing a Skeletal Chemical Equation
निम्नलिखित पदों को ध्यान में रखते हुए ढाँचा रासायनिक समीकरण को लिखा जाता है
पद 1 किसी रासायनिक समीकरण में क्रियाकारकों के उत्पादों में परिवर्तन को इनके मध्य तीर का चिह्न (→) लगाकर प्रदर्शित करते हैं। तीर के चिह्न के बायीं ओर (LHS) क्रियाकारकों को तथा दायीं ओर (RHS) उत्पादों को लिखा जाता है।
पद 2 रासायनिक समीकरण में भाग लेने वाले दो या दो से अधिक क्रियाकारकों के अणुसूत्रों के मध्य धनात्मक (+) चिह्न लिखते हैं। समान रूप से, उत्पादों के अणुओं के मध्य भी धनात्मक (+) चिह्न लिखते हैं। तीर का सिरा (Head point of arrow) उत्पादों की ओर होता है, जोकि अभिक्रिया की दिशा को प्रदर्शित करता है।
उदाहरण-जिंक की हाइड्रोजन क्लोराइड से अभिक्रिया के फलस्वरूप जिंक क्लोराइड तथा हाइड्रोजन के निर्माण को निम्न प्रकार से प्रदर्शित किया जाता है।
Zn + HCl—————→ ZnCl2 +H2
पद 3 यदि अभिक्रिया उत्क्रमणीय है, अर्थात् बायीं तथा दायीं दोनों दिशाओं में होती है, तो दोनों दिशाओं को अर्द्ध-शीर्ष वाले तीर के चिह्न () द्वारा प्रदर्शित करते हैं। उदाहरण हाइड्रोजन N2 + H2 ⥨ NH3 इस प्रकार प्राप्त रासायनिक समीकरणें ढाँचा समीकरण (Skeletal equation) कहलाती हैं। इनमें दायीं ओर लिखे विभिन्न तत्वों के परमाणुओं की संख्या, उनके बायीं ओर लिखी संख्या के समान हो भी सकती है और नहीं भी।
सन्तुलित रासायनिक समीकरण लिखना Writing a Balanced Chemical Equation
द्रव्य की अविनाशिता के नियम (Law of indestructibility of matter) के अनुसार, “किसी रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारकों के उत्पादों में परिवर्तन के फलस्वरूप न ही कोई परमाणु नष्ट होता है और न ही कोई निर्मित होता है।” यदि रासायनिक समीकरण के दोनों पक्षों में ऐसा नहीं है, तो बायीं ओर लिखे प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या दायीं ओर लिखे उनके परमाणुओं की संख्या के समान (बराबर) करते हैं। ऐसी रासायनिक समीकरण जिसके दोनों पक्षों (बायीं तथा दायीं ओर) में प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या बराबर होती है, सन्तुलित रासायनिक समीकरण (Balanced chemical equation) कहलाती है।
अतः स्पष्ट है कि द्रव्य की अविनाशिता के नियम को सन्तुष्ट करने के लिए रासायनिक समीकरण को सन्तुलित किया जाता है। उदाहरण—मैग्नीशियम का वायु में दहन करने पर मैग्नीशियम ऑक्साइड निर्मित होता है। इस अभिक्रिया की ढाँचा समीकरण निम्न है। Mg + O2 → MgO इसमें Mg के परमाणुओं की संख्या तो समीकरण के दोनों पक्षों में समान (अर्थात् 1) है जबकि ऑक्सीजन के परमाणुओं की संख्या बायीं ओर 2 तथा दायीं ओर 1 है।
अतः यह एक असन्तुलित रासायनिक समीकरण (Unbalanced chemical equation) है। निम्न समीकरण प्राप्त होती है। यदि इस समीकरण में Mg तथा MgO से पूर्व गुणांक 2 लिख दिया जाए, तब
2Mg + O2 → 2MgO इस समीकरण में Mg तथा ऑक्सीजन दोनों के ही परमाणुओं की संख्या समीकरण के दोनों पक्षों में समान है। अतः अब यह एक सन्तुलित रासायनिक समीकरण है तथा द्रव्य की अविनाशिता के नियम का पालन करती है।
रासायनिक समीकरण को सन्तुलित करना
रासायनिक समीकरण को सन्तुलित करने के लिए निम्नलिखित चार विधियाँ प्रचलन में हैं
- जाँच एवं त्रुटि विधि
- आंशिक समीकरण विधि
- संयोजकता विधि
- आयनिक समीकरण विधि
रासायनिक समीकरण का महत्त्व
एक सन्तुलित रासायनिक समीकरण से हमें निम्नलिखित तथ्यों की जानकारी प्राप्त होती है
(i) कोई भी रासायनिक समीकरण रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले अभिकारक एवं अभिक्रिया के पश्चात् प्राप्त उत्पाद के सन्दर्भ में जानकारी देती है।
(ii) इससे अभिकारक एवं उत्पाद व्यवस्था का पता चलता है।
(iii) इससे अणुओं की संख्याओं एवं द्रव्यमान के आपेक्षिक अनुपात का भी ज्ञान होता है।
(iv) रासायनिक समीकरण से अभिक्रिया की प्रकृति का पता चलता है।
(v) रासायनिक समीकरण द्वारा रासायनिक अभिक्रिया में प्रयुक्त या निर्मित गैसीय पदार्थों के आयतन ज्ञात हो जाते हैं।
रासायनिक समीकरण की सीमाएँ
यद्यपि रासायनिक समीकरण से बहुत—सी महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। परन्तु यह निम्नलिखित को स्पष्ट करने में असमर्थ रहीं है
(i) इससे अभिकारकों एवं उत्पादों की भौतिक अवस्था के सम्बन्ध में कोई जानकारी प्राप्त नहीं होती है।
(ii) इससे अभिक्रिया के सम्पन्न होने के लिए प्रयुक्त ताप, दाब एवं उत्प्रेरक आदि की जानकारी नहीं मिलती है। (iii) इससे अभिक्रिया के वेग एवं अभिकारकों तथा उत्पादों के सान्द्रण का ज्ञान नहीं होता है।
(iv) इससे अभिक्रिया में प्रयुक्त माध्यमिक पदों की जानकारी नहीं मिलती है।
(v) इससे अभिक्रिया में मुक्त या प्रयुक्त होने वाली ऊर्जाओं (प्रकाश, ध्वनि, ऊष्मा आदि) के सम्बन्ध में भी कोई जानकारी प्राप्त नहीं होती है।
(vi) इससे अभिक्रिया के पूर्ण होने में लगे समय के सम्बन्ध में भी कोई जानकारी नहीं मिलती है।
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