प्रिय पाठक (Friends & Students)! allhindi.co.in में आपका स्वागत है। उम्मीद करता हूँ आप सब लोग अच्छे होंगे। आज की इस नए लेख में आप परमाणु किसे कहते हैं? इसके बारे में जानेंगे। परमाणु के सिद्धांत, संरचना के बारे में हम बारीकी से समझेंगे। तो चलिए आज की इस लेख की शुरुआत करते है।
भारतीय दार्शनिक महर्षि कणाद, पकुधा कात्यायाम, डेमोक्रिटस एवं लियुसीपस के अनुसार, यदि हम पदार्थ को विभाजित करते जाएँ, तो हमे छोटे-छोटे कण प्राप्त होते जाएँगे तथा अंत में एक सीमा आएगी जब प्राप्त कण को पुनः विभाजित नहीं किया जा सकेगा, अर्थात् वह सूक्ष्मतम कण अविभाज्य रहेगा। इन्होंने इस अविभाज्य सूक्ष्मतम कण को परमाणु नाम दिया था। ये सभी सुझाव दार्शनिक विचारों पर आधारित थे।
18 वीं सदी तक इन विचारों की वैधता को सिद्ध करने के लिए कोई प्रयोगात्मक कार्य नहीं किए गए थे। 18 वीं सदी के अन्त में वैज्ञानिकों को तत्वों तथा यौगिकों के मध्य का अन्तर समझ में आया, जिसके बाद तत्वों के बारे में पता लगाने तथा ये संयोग क्यों करते हैं, इनके संयोग से क्या होता है, के प्रयोग किये गये।
परमाणु किसे कहते हैं?
तत्व का वह छोटे से छोटा कण है जो रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेता है। ऐसे तत्व को परमाणु कहते है। अधिकांश तत्वों के परमाणु अत्यंन्तं अभिक्रियाशील होते हैं और मुक्त अवस्था में (अकेले परमाणु के रूप में) नहीं पाये जाते हैं। परमाणुओं के उतने ही प्रकार होते हैं, जितने कि तत्व के हैं।
परमाणु का आकार परमाणु अत्यन्त छोटे होते हैं तथा परमाणु की त्रिज्या को नैनोमीटर (nm) मापा जाता है। 10 ° m = 1nm 1m = 10 ° nm

अभी तक आपने जाना की परमाणु किसे कहते हैं अब आप अलग अलग वैज्ञानिक की परमाणु सिधांत के बारे में पढेंगे
डाल्टन का परमाणु सिद्धान्त
डाल्टन का परमाणु सिद्धान्त को सैद्धान्तिक रूप से सिद्ध करते हुए सर्वप्रथम डॉल्टन रासायनिक संयोग के नियमों को ध्यान में रखते हुए तथा इन नियमों की मान्यता 1803 में परमाणु सिद्धान्त प्रस्तुत किया। डाल्टन के परमाणु सिद्धान्त से द्रव्य की अविनाशिता के नियम व रासायनिक संयोग के अन्य नियमों की व्याख्या की जा सकती है।
डाल्टन के परमाणु सिद्धान्त की प्रमुख परिकल्पनाएँ
डॉल्टन ने प्रयोगों एवं प्रेक्षणों के परिणामों के आधार पर परमाणु की निम्न परिकल्पनाएँ दी
- प्रत्येक तत्व अनेक सूक्ष्म कणों से मिलकर बना है, जिन्हें परमाणु (Atoms) कहते हैं।
- परमाणु तत्व का वह सूक्ष्मतम कण है, जिसे पुनः विभाजित नहीं किया जा सकता तथा जो रासायनिक अभिक्रिया के अन्तराल में उसी प्रकार बना रहता है।
- एक ही तत्व के परमाणु, द्रव्यमान एवं अन्य सभी गुणों में समान होते हैं।
- दो या दो से अधिक तत्वों के परमाणु सरल गुणित अनुपात (1: 1 या 1: 2 या 2: 1 आदि) में रासायनिक संयोग करके यौगिक परमाणु (जिन्हें अब अणु कहा जाता है) बनाते हैं।
- भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु भार एवं द्रव्यमान भिन्न-भिन्न होते हैं। अतः संक्षेप में, डाल्टन के परमाणुवाद के आधार पर, परमाणु तत्व का वह छोटे-से-छोटा अविभाज्य कण है, जो किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में भाग ले सकता है।

डाल्टन के परमाणु सिद्धान्त के लाभ
डाल्टन का परमाणु सिद्धान्त विभिन्न प्रकार से प्रयोगी सिद्ध हुआ हैं
- डाल्टन सर्वप्रथम किसी तत्व के मुख्य कण (परमाणु) तथा उसके यौगिक (अणु) के बीच व्यावहारिक विभेद के लिए जाने गये।
- यह सिद्धान्त रासायनिक संयोग के नियमों की व्याख्या करता है।
डाल्टन के परमाणु सिद्धन्त में निम्न कमियाँ:
डाल्टन के परमाणु सिद्धन्त में निम्न कमियाँ पाई गई
- परमाणु लम्बे समय तक अविनाशी (अविभाज्य) नहीं है। इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन परमाणु के मुख्य घटक है।
- एक ही तत्व के परमाणुओं का भार कुछ भिन्न हो सकता है। (समस्थानिक) (
- भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणुओं के भार समान हो सकते हैं। (समभारिक)
- समान प्रकार के परमाणुओं से बने पदार्थों के गुण भिन्न हो सकते हैं।
- वह अनुपात जिसमें विभिन्न परमाणु संयोग करके यौगिक बनाते हैं, स्थिर और अविभाज्य हो सकता है परन्तु, सरल नहीं हो सकता है।
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डाल्टन के परमाणु सिद्धान्त के आधार पर रासायनिक संयोग के नियमों का स्पष्टीकरण
डॉल्टन के परमाणु सिद्धान्त के आधार पर रासायनिक संयोग के नियमों का स्पष्टीकरण निम्न प्रकार (i)
- द्रव्यमान संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Mass) परमाणुवाद के अनुसार, सभी पदार्थ परमाणुओं द्वारा निर्मित होते हैं। तथा परमाणु अविभाज्य होते हैं अर्थात् ये रासायनिक क्रिया से न तो उत्पन्न होते हैं और न ही इसमें नष्ट होते हैं। अतः परमाणुओं द्वारा निर्मित द्रव्य भी रासायनिक अभिक्रिया में न तो नष्ट होगा और न ही उत्पन्न होगा। यही द्रव्यमान संरक्षण या द्रव्य की अविनाशिता का नियम है।
- स्थिर अनुपात का नियम (Law of Constant Proportion) डॉल्टन के परमाणुवाद के अनुसार, परमाणु परस्पर संयोग करके यौगिक परमाणु बनाते हैं। किसी पदार्थ के अणु गुण तथा द्रव्यमान (भार) में समान होते हैं, क्योंकि इनमें विभिन्न तत्वों के परमाणुओं की संख्या स्थिर होती है। इसलिए किसी भी यौगिक में विभिन्न तत्वों के भारों में एक स्थिर अनुपात होता है।
उदाहरण-जिंक (Zn) तथा सल्फर (S) परस्पर संयोग करके जिंक सल्फाइड (ZnS) बनाते हैं। Zn तथा S का संयोग परमाणुओं की पूर्ण संख्या में होता है। माना, Zn के परमाणु S के परमाणुओं से संयोग करते हैं। Zn के x परमाणुओं का द्रव्यमान तथा S के परमाणुओं का द्रव्यमान स्थिर है। इसलिए ZnS में Zn तथा S के द्रव्यमान में एक स्थिर अनुपात है। y नोट सर्वप्रथम परमाणु शब्द का प्रयोग डाल्टन ने तथा अणु शब्द का प्रयोग आवोगाद्रो ने किया था।
आधुनिक परमाणु सिद्धान्त
19 वीं शताब्दी के अन्त तथा 20 वीं शताब्दी के आरम्भ तक थॉमसन, रदरफोर्ड, चैडविक आदि वैज्ञानिकों ने प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध किया कि परमाणु, तत्व का अविभाज्य कण नहीं है, बल्कि इलेक्ट्रॉन (Electron) , प्रोटॉन (Proton) तथा न्यूट्रॉन (Neutron) आदि कणों से मिलकर बना है। इस प्रकार आधुनिक वैज्ञानिक खोजों के उपरान्त डाल्टन के परमाणु सिद्धान्त में विभिन्न संशोधन किए गए, ये निम्न प्रकार हैं
- परमाणु विभाज्य है, अविभाज्य नहीं अर्थात् यह इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन आदि कणों से मिलकर बना है तथा उनमें विभाजित भी हो सकता है।
- डाल्टन के परमाणुवाद के अनुसार, परमाणु सरल संख्यात्मक अनुपातों में संयोजित होकर यौगिक बनाते हैं, लेकिन यौगिक में तत्वों के परमाणुओं में सरल गुणित अनुपात होना आवश्यक नहीं है।
उदाहरण— प्रोटीन, स्टॉर्च आदि में यह अनुपात सरल नहीं होता है। - तत्व का मूल आधार परमाणु क्रमांक है, न कि परमाणु भार।
- रासायनिक अभिक्रिया परस्पर इलेक्ट्रॉनों के आदान-प्रदान द्वारा होती है।
- सामान्यतया परमाणुओं को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, किन्तु नाभिकीय विखण्डन प्रक्रिया द्वारा एक तत्व के परमाणुओं को दूसरे तत्व के परमाणुओं में परिवर्तित किया जा सकता है।
- यौगिक अणु हैं, परमाणु नहीं डाल्टन के नियमानुसार, यौगिक अणु होते हैं। सभी तत्वों के परमाणु संयुक्त होकर यौगिक का निर्माण करते हैं, यौगिक के परमाणुओं का नहीं।
- एक ही तत्व के परमाणु भिन्न-भिन्न द्रव्यमानों के भी हो सकते हैं। ऐसे परमाणुओं को समस्थानिक (Isotopes) कहा जाता है।
- भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणुओं के परमाणु भार समान भी हो सकते हैं। ऐसे परमाणु समभारिक (Isobars) कहलाते हैं।
इस लेख के बारे में:
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