प्रिय पाठक ! आप सभी का स्वागत है इस नये लेख में इस लेख में आप जानने वाले मातृभाषा किसे कहते हैं (Matribhasha kise kahate hain ) | पीछे की लेख में आप भाषा के बारे में जाना था आइये शुरुवात करते है इस लेख और जानते है की मातृभाषा किसे कहते हैं?
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मातृभाषा किसे कहते हैं | Matribhasha kise kahate hain
मातृभाषा (Mother Toungue): वह बोली या भाषा जो बच्चे को जन्म से ही माता के मुख से सुनाई पड़ती है, जिस घर परिवार में जो बोली या भाषा बोली जाती है, उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं।
पतंजलि के अनुसार: मातृभाषा व्यक्त शब्दों द्वारा विचारों का प्रकटीकरण है। शास्त्रीय मत विचारों की अभिव्यक्ति के लिए समाज द्वारा स्वीकृत जिन वर्ण व्यक्त ध्वनियों के संकेतों का व्यवहार होता है उसे भाषा कहा जाता है। मातृभाषा के माध्यम से शिक्षित व्यक्ति मौखिक तथा लिखित रूप से विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।

मातृभाषा की विशेषताएँ
- मातृभाषा को संविधान में स्थान प्राप्त है।
- प्राय: सभी भाषाओं में साहित्य की रचना की गई है।
- भारत में प्रमुख 15 मात्र भाषाएँ हैं।
उदाहरण: हिन्दी, मराठी, बंगला, गुजराती, तमिल, तेलगू, असमिया, पंजाबी, कन्नड़, मलयालम, सिन्धी, उड़िया और उर्दू आदि मातृभाषाएँ हैं। - ज्ञानोपार्जन का सबसे सरल व सशक्त माध्यम है।
- बालक के सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास में सहायक होती है।
- मातृभाषा में अपनी कहावतें, लोककथाएँ, कहानियाँ, पहेलियाँ, सूक्ति होती हैं, जो सीधे हमारी स्मृति की धरती से जुड़ी होती हैं।
- मातृभाषा से अपने परिवेश का बोध होता हैं।
- मातृभाषा के माध्यम से लोगों की वास्तविक आवश्यकताओं को गीतों, नृत्यों, नाटकों, कविताओं आदि के जरिये अभिव्यक्ति दी जाती है।
- मातृभाषा बालक की कल्पनाशक्ति व उसकी लेखन प्रवृत्तियों को जगाकर स्वतंत्र रूप से साहित्य-सर्जन की प्रेरणा देती है।
- मातृभाषा बालक का प्रवृत्तियों को जगाकर स्वतंत्र रूप से साहित्य-सर्जन की प्रेरणा देती है।
- मातृभाषा में सरसता और पूर्णता की अनुभूति होती है। प्राथमिक शिक्षा का मुख्य आधार होती है।
- मातृभाषा मात्र संवाद ही नहीं अपितु संस्कृति और संस्कारों की संवाहिका भी है।
शिक्षा में मातृभाषा का महत्त्व
बालक की शिक्षा में मातृभाषा का विशेष स्थान होता है।
यह शिक्षा का सर्वोत्तम साधन होता है।
इसके महत्त्वपूर्ण तत्त्व निम्नवत् हैं
- सामाजिक विकास
- बौद्धिक विकास
- मौलिक चिन्तन
- भाषान्तर भाषा की शिक्षा में सरलता
- उत्तम नागरिकता
- आर्थिक महत्त्व।
हिन्दी भाषा का उद्देश्य एवं लक्ष्य हिन्दी भाषा को मातृभाषा के रूप में भारत के अधिकांश क्षेत्रों में पढ़ाया जाता है। दक्षिण भारत तथा अन्य कुछ राज्यों में इस हिन्दी भाषा को द्वितीय भाषा के रूप में रखा गया है। भाषा के विषय में श्री सन्त ने लिखा है-“भाषा संसार का नामदेय स्वरूप है।“
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मातृभाषा से जुड़े कुछ सवाल तथा उनका जवाब:
प्रश्न:-विभाषा किसे कहते हैं?
उत्तर:-बोली का कुछ अधिक विकसित वह रूप जिसमें साहित्य आदि रचा जाने लगता है, उसे विभाषा कहते हैं । जैसे: ब्रह्म और अवधी।
प्रश्न: भाषा किसे कहते हैं?
उत्तर:– मनुष्य के मुख से निकली वे सार्थक (अर्थयुक्त) ध्वनियाँ हैं जो दूसरों तक अपनी भावनाओं को पहुँचाने का काम करती हैं, या स्पष्ट रूप से भाव (अर्थ) बताती हैं, भाषा कहलाती है।
प्रश्न: मातृभाषा की सबसे बड़ी विशेषता क्या है?
उत्तर:– भाषा को संविधान में स्थान प्राप्त है।
प्राय: सभी भाषाओं में साहित्य की रचना की गई है।
भारत में प्रमुख 15 मात्र भाषाएँ हैं।
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