Alankar Kitne Prakar Ke Hote Hain | अलंकार कितने प्रकार के होते हैं – परिभाषा, प्रकार, उदाहरण

प्रिय पाठक! Allhindi के इस नये लेख में आप सभी का स्वागत हैं। आज की इस लेख में आप जानने वाले हैं कि अलंकार कितने प्रकार होते हैं (Alankar Kitne Prakar Ke Hote Hain) । अलंकार हिन्दी व्याकरण का एक महत्त्वपूर्ण भाग हैं। इस वजह से आपको इसे समझना बहुत ही जरूरी हैं क्योकि इससे जुड़े प्रश्न हर प्रतियोगी परीक्षाओ में तथा हर सामान्य स्कूल परीक्षाओ में भी पूछा जाता हैं। तो चलिए शुरुआत करते हैं इसकी परिभाषा से।

Alankar Kitne Prakar Ke Hote Hain
Alankar Kitne Prakar Ke Hote Hain

अलंकार की परिभाषा [ Alankar Ki Paribhasha]

अलंकार ‘दो शब्दों अलम्’ तथा ‘कार’ से मिलकर बना है। अलम् का अर्थ भूषण या सजावट तथा कार का अर्थ करने वाला होता है अर्थात् जो अलंकृत या भूषित करे वह अलंकार है। अलंकार का शाब्दिक अर्थ है-आभूषण। जिस प्रकार आभूषण शरीर की शोभा बढ़ाते हैं, वैसे ही अलंकार के प्रयोग से काव्य में चमत्कार, सौन्दर्य और आकर्षण उत्पन्न हो जाता है।

वस्तुतः भाषा को शब्द एवं शब्द के अर्थ से सुसज्जित एवं सुन्दर बनाने और आनन्द प्रदान करने वाली प्रक्रिया को अलंकार ‘कहा जाता है।’ अलंकार काव्य भाषा के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं। यह भाव की अभिव्यक्ति को अधिक प्रभावी बनाते हैं। आइये अब जानते है की अलंकार कितने प्रकार के होते हैं [Alankar Kitne Prakar Ke Hote Hain]।

अलंकार कितने प्रकार के होते हैं [Alankar Kitne Prakar Ke Hote Hain]

अलंकार 8 प्रकार के होते हैं।जिनके परिभाषाये और उदाहरण नीचे दी गयी हैं।

अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं

(क) अनुप्रास अलंकार: जब काव्य में किसी वर्ण की आवृत्ति हो, अर्थात् एक ही वर्ण एक से अधिक बार आए, तो वहाँ पर अनुप्रास अलंकार होता हैं।

उदाहरण: (अ) चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही थीं जल थल में।
(ब) तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।

स्पष्टीकरण:  इन काव्य पंक्तियों में ‘च’ और ‘त’ वर्ण एक से अधिक बार आये हैं। अतः अनुप्रास अलंकार है। 

यमक अलंकार किसे कहते हैं

(ख) यमक अलंकार: जब एक ही शब्द एक से अधिक बार हो परंतु उसके अर्थ अलग अलग हो, तो वहाँ यमक अलंकार होता है।

उदाहरण: कनक- कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय।
या खाए बौराय जग, वा पाए बौराय ॥

स्पष्टीकरण: इसमें ‘कनक’ शब्द दो बार आया है, जिसमें एक कनक का अर्थ है ‘धतूरा’ और दूसरे कनक का अर्थ है ‘सोना’।

यह भी पढ़े: अलंकार किसे कहते हैं
आप पढ़ रहे हैं: Alankar Kitne Prakar Ke Hote Hain

श्लेष अलंकार किसे कहते है

श्लेष अलंकार की परिभाषा: जिन काव्य पंक्तियों में एक शब्द का प्रयोग एक ही बार होता है परंतु उसके अर्थ एक से अधिक होते हैं, वहाँ श्लेष अलंकार होता है।

उदाहरण: चरन धरत चिंता करत, चितवत चारिउ ओर।
सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर ॥

स्पष्टीकरण: इसमें ‘सुबरन’ शब्द के तीन अर्थ बताए गए हैं, पहला ‘अच्छा शब्द’ दूसरा ‘अच्छा रूप-रंग’ और तीसरा ‘स्वर्ण’

उपमा अलंकार किसे कहते हैं

उपमा अलंकार: जहाँ एक ही वस्तु की समानता या तुलना समान धर्म के आधार पर दूसरी वस्तु से की जाती है, वहाँ उपमा अलंकार होता है।

उदाहरण:- हरि पद कोमल कमल से

स्पष्टीकरण:- यहाँ भगवान के पैरों की तुलना कमल से की गयी है। अतः यहाँ उपमा अलंकार है।

उपमा अलंकार के अंग: उपमा अलंकार के चार अंग हैं:

उपमा: जिस (साधारण) वस्तु की तुलना किसी दूसरी प्रसिद्ध खास वस्तु से की जाए वह उपमेय है। दूसरे शब्दों में जिसकी उपमा दी जाए, वह उपमेय है। उदाहरण:- मुख चाँद सा सुंदर है।
ऊपर के उदाहरण में मुख उपमेय है।

उपमान: जिससे उपमा दी जाए, उसे उपमान कहते हैं।

उदाहरण:- मुख चाँद सा सुंदर है
ऊपर के उदाहरण में ‘चाँद’ उपमान है।

साधर्म्य (साधारण धर्म): उपमेय और उपमान के बीच पाए जाने वाले सामान्य गुण या विशेषता को साधारण धर्म कहते हैं। उदाहरण: मुख चाँद सा सुंदर है

ऊपर के उदाहरण में ‘सुंदर’ शब्द साधर्म्य अर्थात् साधारण-धर्म है। ‘सुंदरता’ दोनों में ही है अर्थात् सुंदरता उपमेय (मुख) और उपमान (चाँद) दोनों में ही विमान है।

सादृश्यवाचक शब्द: उपमेय और उपमान के बीच समता (समानता) बताने के लिए शब्द का प्रयोग किया जाता है, उसे ‘सादृश्यवाचक शब्द’ कहते हैं। उदाहरण: मुख चाँद सा सुंदर है। ऊपर के उदाहरण में ‘सा’ सादृश्यवाचक शब्द है। सदृश समान तुल्य, ऐसा, जैसा, सादृश्य आदि अन्य सादृश्य वाचक शब्द है।

रूपक अलंकार किसे कहते हैं

रूपक अलंकार: जहाँ उपमेय में उपमान का आरोप हो, वहाँ रूपक अलंकार होता है। उदाहरण: चरण कमल बंदौ हरि राई। स्पष्टीकरण: यहाँ पर भगवान के चरणों में कमल का भेद रहित आरोप है। अतः यहाँ रूपक अलंकार है।

उत्प्रेक्षा अलंकार किसे कहते हैं

उत्प्रेक्षा अलंकार: जिन काव्य पंक्तियों में उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इसके बोधक शब्द है- मनु, मानई, जनु, जानहुँ आदि।

उदाहरण: सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात
मनो नीलमणि शैल पर, आतप परयो प्रभात

स्पष्टीकरण: पीतांबर ओढ़े हुए कृष्ण की कल्पना नीलमणि पर्वत से की गयी है। अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।

अतिशयोक्ति अलंकार किसे कहते हैं

अतिशयोक्ति अलंकार: जहाँ किसी वस्तु, पदार्थ और कथन का वर्णन अत्यधिक बढ़ा चढ़ा कर किया जाता है, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।

उदाहरण: “पानी परात को हाथ छुयो नहिं,
नैनन के जल सो पग धोए।”

स्पष्टीकरण: यहाँ आँसुओं से पैर धोने का वर्णन किया गया है। अतः अतिशयोक्ति अलंकार है।

मानवीकरण अलंकार किसे कहते हैं

मानवीकरण अलंकार: जिन काव्य पंक्तियों में जड़ पर चेतना का आरोप दृष्टिगत होता है, यहाँ मानवीकरण अलंकार होता है।

उदाहरण: अंबर पन घट में डुबो रही।
तारा घट ऊषा नागरी।

स्पष्टीकरण: इन काव्य पंक्तियों में ‘ऊषा’ पर ‘नागरी’ का आरोप मानवीकरण की पुष्टि करता है।

भ्रांतिमान अलंकार किसे कहते हैं

भ्रांतिमान अलंकार: जब एक वस्तु को दूसरी समझकर उसके अनुरूप कार्य आरंभ कर दिया जाए, तो वहाँ भ्रांतिमान अलंकार होता है।

उदाहरण:- “बिल विचारि प्रविसन लग्यो, नाग सुन्ड में व्याल।
करी ऊख भ्रम ताहि को, लियो सूँड़ में डाल।।”

स्पष्टीकरण: यहाँ साँप हाथी की सूँड को बिल समझकर घुसने लगता है, उधर हाथी साँप को काला गन्ना समझकर उठा लेता है। अतः यहाँ भ्रांतिमान अलंकार है।

इस लेख के बारे में:

तो आपने इस लेख में जाना की Alankar Kitne Prakar Ke Hote Hain इस लेख को पढ़कर आपको कैसा लगा आप अपनी राय हमें कमेंट कर सकते है। इस लेख में सामान्य तौर पर किसी भी प्रकार की कोई गलती तो नहीं है लेकिन अगर किसी भी पाठक को लगता है कि इस लेख में कुछ गलत है तो कृपया कर हमे अवगत करे। आपके बहुमूल्य समय देने के लिए और इस लेख को पढने के लिए allhindi की पूरी टीम आपका दिल से आभार व्यक्त करती है।

इस लेख को अपने दोस्तों तथा किसी भी सोशल मीडिया के माध्यम से दुसरो तक यह जानकारी पहुचाये। आपकी एक शेयर और एक कमेंट ही हमारी वास्तविक प्रेरणा है।

Leave a Comment