नमस्कार दोस्तों, Allhindi.co.in के इस नये लेख में आपका स्वागत है| आज की इस लेख में आप सभी जानेंगे की शब्द किसे कहते हैं शब्द के भेद और उससे जुड़े उदाहरण जानेंगे| आज की इस लेख में आप शब्द विचार के पाठ को अच्छे से समझेंगे जैसे की
शब्द विचार (Morphology): वर्णों के मेल से बने स्वतन्त्र सार्थक ध्वनि समूह को शब्द कहते हैं, जैसे-कलम, गीता, रामायण, उद्यम, विद्यालय आदि है। हम अपने विचार दूसरों तक पहुँचाते हैं। विचारों को दूसरों तक पहुँचाने का साधन भाषा है। भाषा शब्दों तथा वाक्यों से बनती हैं।
अतः शब्दों की कुछ विशेषताएँ हैं

- सभी शब्दों का कुछ न कुछ अर्थ होता है।
- सभी शब्द वर्णों के मेल से बने होते हैं।
- शब्दों को वाक्यों में प्रयोग किया जा सकता है।
शब्द और पद-शब्द भाषा की स्वतंत्र इकाई है जबकि पद व्याकरण के नियमों में बंधा हुआ अपूर्ण वाक्य है। इसमें क्रिया नहीं होती; जैसे-मेरा सुन्दर बगीचा, स्कूल जाते हुए आदि। अतः जो शब्द व्याकरण के नियमों में बंधकर वाक्य में प्रयुक्त होता उसे पद कहते हैं।
शब्द के भेद
शब्द को पांच भागो में बाटा गया हैं
- उत्पत्ति के आधार पर
- रचना के आधार पर
- प्रयोग के आधार पर
- अर्थ के आधार पर
- व्याकरणिक प्रक्रिया के आधार पर
उत्पत्ति के आधार पर
उत्पत्ति के आधार पर शब्दों को निम्नलिखित चार भागों में बाँटा गया है:
(क) तत्सम (ख) तद्भव (ग) देशज (घ) विदेशज (क) तत्सम् शब्द
तत्सम शब्द किसे कहते हैं
संस्कृत के शब्द जो हिन्दी में अपने मूल रूप में प्रयोग में लाए जाते हैं, उन्हें तत्सम शब्द कहते जैसे-गृह, वायु, घृत, अग्नि, गुरु, पत्र आदि।
तद्भभव शब्द किसे कहते हैं
तद्भव शब्द-हिन्दी में जो शब्द संस्कृत से आए हैं और बाद में बिगड़कर नए रूप में आ गए हैं, उन्हें तद्भभव शब्द कहते हैं, जैसे-घर, हवा, आग, पत्ता
देशज शब्द किसे कहते हैं
देशज शब्द: वे शब्द हैं जो न तो संस्कृत से आए हैं, न किसी संस्कृत शब्द से बिगडकर बने हैं, बल्कि ल हिन्दी प्रदेशों में बोलचाल से बने है। जैसे-लड़का, खिड़की, झाडू, भौं-भौं घोंसला, फटाफट, बड़बड़ाना, चिड़िया आदि।
विदेशज शब्द किसे कहते हैं
विदेशियों के आने के पश्चात् तथा अन्य देशों से सम्पर्क के कारण जो शब्द हिन्दी में अपना लिए गए हैं वे विदेशी शब्द कहलाते हैं
रचना के आधार पर
रचना के आधार पर शब्दों को तीन भागों में बाँटा जा सकता है
(क) रूढ शब्द (ख) व्युत्पन्न शब्द (ग) योगरूढ शब्द
रूढ शब्द की परिभाषा
रूढ़ जो शब्द खंड करने पर अर्थहीन हो जाते हैं, उन्हें मूल शब्द या रूढ़ शब्द कहते हैं। ये शब्द परम्परा से एक निश्चित अर्थ बताते है। जैसे-कल, घर, कपड़ा, दिन, रात, घास, पुस्तक, पशु आदि। इन्हें मूल शब्द भी कहते हैं।
व्युत्पन्न शब्द किसे कहते हैं
दो शब्दों या शब्दाशों के योग से बने हुए शब्द व्युत्पन्न शब्द होते हैं। इन शब्दों के खंड सार्थक होते हैं। व्युत्पन्न शब्द दो प्रकार के होते हैं।
यौगिक शब्द किसे कहते हैं
यौगिक वे शब्द जो एक से अधिक शब्दों के मेल से बनते हैं और जिनके खंडों का अर्थ होता है, यौगिक शब्द कहलाते हैं। ये शब्द उपसर्ग, प्रत्यय संधि और समास के नियमों से बनते है।
योगरूढ़ शब्द किसे कहते हैं
योगरूढ़: वे शब्द जो अपने शब्दों के योग से बनते हैं किन्तु सामान्य अर्थ को प्रकट न करके किसी विशेष वस्तु या स्थान के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं, जैसे-पीताम्बर, श्वेताम्बरी, दशानन, पंकज, जलद, चतुर्भुज आदि
प्रयोग के आधार पर
प्रयोग की दृष्टि से शब्दों को दो वर्णों में बाँटा जा सकता है- (क) विकारी (ख) अविकारी
विकारी शब्द किसे कहते हैं
वे शब्द जो लिंग, वचन और कारक के कारण परिवर्तित हो जाते हैं उन्हें विकारी शब्द कहते हैं। विकारी शब्द चार प्रकार के होते हैं 1. संज्ञा 2 । सर्वनाम 3 । विशेषण 4 । क्रिया ये शब्द एक रूप से दूसरे में परिवर्तित हो सकते हैं, अतः ये सभी विकारी शब्द हैं।
अविकारी शब्द किसे कहते हैं
वे शब्द जो लिंग, वचन और कारक के कारण परिवर्तित नहीं होते हैं, उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं। अविकारी शब्द भी चार प्रकार के होते हैं, जैसे 1. क्रिया-विशेषण 2. सम्बन्धबोधक 3. समुच्चयबोधक 4. विस्मयादिबोधक
अर्थ के आधार पर
अर्थ के आधार पर शब्द दो प्रकार के होते हैं,
सार्थक शब्द किसे कहते हैं
वे शब्द जिनका कुछ-न-कुछ अर्थ निकलता है, उन्हें सार्थक शब्द कहते हैं। जैसे-भोजन, शिक्षक, विश्वास इत्यादि सार्थक शब्द ही किसी भी भाषा को बनाते हैं।
निरर्थक शब्द किसे कहते हैं
ऐसे शब्द जिनका कोई अर्थ नहीं होता, निरर्थक शब्द कहलाते हैं। ये वे शब्द हैं जो हमारे मुँह से अपने आप ही निकल जाते हैं, जैसे-चाय-वाय, पानी-वानी, गपशप, रोटी-वोटी, मकान वकान आदि। इन शब्दों में वाय, वानी, वकान, शप, वोटी का कोई अर्थ नहीं है, अतः ये निरर्थक शब्द है।
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