वाणिज्य गणित क्या है

नमस्कार दोस्तों, आज की इस लेख में हम वाणिज्य गणित के बारे में जानकारी लेंगे। इसके पिछले लेख में आपने जाना की आप पूर्णांक क्या है? और पूर्णांक किसे कहते है? तो आइए जानते है वाणिज्य गणित किसे कहते है?

गणित

व्यवहार गणित किसे कहते है

व्यवहार गणित: दैनिक जीवन की आर्थिक गतिविधियों को सुचारू ढंग से चलाने के लिए तथा नित्य क्रिया के हिसाब-किताब (उदाहरण- अनुपात, समानुपात, प्रतिशत, लाभ-हानि, साधारण ब्याज) को करने हेतु जिस गणित का प्रयोग किया जाता है, उसे व्यवहार गणित कहते हैं।

अनुपात किसे कहते है

अनुपात:- जब एक संख्या में दूसरी संख्या से भाग देकर तुलना करते हैं, तो इस प्रकार प्राप्त संबंध को अनुपात कहते हैं।

अथवा

दो राशियों को “ कितने गुना ” के रूप में व्यक्त करने को अनुपात कहते है।

अथवा

अनुपात दो संख्याओं की भाग द्वारा तुलना है, जिससे यह ज्ञात होता है की एक संख्या दूसरी संख्या से कितनी गुनी है अथवा उसका कौन-सा भाग है।

उदाहरणार्थ:- 𝒂 ÷ 𝒃,       𝒑 ÷ 𝒒,      𝒙 ÷ 𝒚

महत्वपूर्ण बिंदु:-

  • अनुपात को चिन्ह ‘ : ’ द्वारा निरूपित किया जाता है।
  • दो राशियों में अनुपात ज्ञात करते समय इनमें से कोई भी राशि शून्य नहीं होनी चाहिए।
  • दो राशियों की तुलना तभी की जा सकती है जब दोनों एक ही इकाई (संख्या या अक्षर) में हो।

उदाहरणार्थ:- यदि एक संख्या 𝒂 दूसरी संख्या 𝒃 हो, तो दोनों संख्याओं को अनुपात में कैसे लिखेंगे?

हल:- चूँकि दो संख्याओं में अनुपात ज्ञात करने के लिए एक संख्या में दूसरी संख्या से भाग देते हैं।

अतः 𝒂 और 𝒃 का अनुपात = 𝒂/𝒃 = 𝒂 : 𝒃

अनुपात के पद:- किसी अनुपात 𝒂 : 𝒃 मे 𝒂 और 𝒃 को अनुपात के पद कहते हैं।

अनुपात के प्रथम पद:- किसी अनुपात 𝒂 : 𝒃 मे अनुपात चिन्ह ‘:’ के बाएँ पक्ष के पद 𝒂 को, प्रथम पद कहते हैं।

अनुपात के प्रथम पद को पूर्व पद भी कहते है।

अनुपात के द्वितीय पद:- किसी अनुपात 𝒂 : 𝒃 मे अनुपात चिन्ह ‘:’ के दाएँ पक्ष के पद 𝒃 को द्वितीय पद कहते हैं।

अनुपात के द्वितीय पद को उत्तर पद भी कहते है।

उदाहरणार्थ:-                   𝒂 : 𝒃

                                  ↓        ↓

             प्रथम पद या पूर्व पद    द्वितीय पद या उत्तर पद

अनुपात की विशेषताएं:- 1. अनुपात केवल एक ही प्रकार की राशियों (सजातीय राशियों) में होता है।

2. समान इकाई वाली राशियों को अनुपात में लिखने के बाद उनके साथ इकाई (मात्रक) को नहीं लिखा जाता है अर्थात अनुपात का कोई मात्रक नहीं होता है।

3. अनुपात को सरलतम रूप में व्यक्त किया जा सकता है।

4. अनुपात के दोनों पदों में शून्य को छोड़कर एक ही संख्या से गुणा करने या भाग देने से अनुपात के मान में अंतर नहीं आता है।

व्युत्क्रम अनुपात:- यदि किसी अनुपात के प्रथम पद 𝒂 और द्वितीय पद 𝒃 को आपस में परिवर्तित कर दिया जाए, तो प्राप्त अनुपात व्युत्क्रम अनुपात कहलाता है।

उदाहरणार्थ:- 𝒂 : 𝒃 का व्युत्क्रम अनुपात  = 𝒃 : 𝒂

अलग-अलग परिस्थितियों में एक समान अनुपात:-  किसी अनुपात के भिन्न के अंश और हर में समान राशि से गुणा करने पर अनुपात वही रहता है अर्थात किसी अनुपात के प्रथम एवं द्वितीय पद में एक ही शून्येतर ( शून्य को छोड़कर ) संख्या से गुणा करने पर अनुपात वही रहता है।

उदाहरणार्थ:-    1 : 2 = ½

                              = (1×5)/(2×5)    (अंश और हर में 5 से गुणा करने पर)

                              = 5/10

                              = ½

अनुपात का सरलतम रूप:- किसी अनुपात को सरलतम रूप में व्यक्त करने के लिए दोनों पदों के महत्तम समापवर्तक से प्रत्येक पद को विभाजित करते हैं।

उदाहरणार्थ:- 5 और 15 को सरलतम अनुपात में लिखिए।

हल: 5 : 15 के पदों 5 और 15 का म.स. 5 है। अतः प्रत्येक पद को 5 से भाग देने पर-

                5 : 15 = 5/5 : 15/5 = 1 : 3

दो अनुपातों की तुलना:- 1. सर्वप्रथम दोनों दी गई अनुपातों को सम हर ( समान हर ) बना लीजिए।

2. जिस भिन्न का अंश बड़ा होगा वही भिन्न बड़ा होगा।

उदाहरणार्थ:-  अनुपात 2 : 3 और 4 : 5 मे कौन बड़ा है?

हल:-       2 : 3 और 1 : 5

या,              ⅔ और ⅘

      दोनों भिन्नों को समहर बनाने पर-

        पहली भिन्न =  2×5/3×5 = 10/15

         दूसरी भिन्न = 4×3/5×3 = 12/15

हम देखते हैं कि भिन्न ⅘ का अंश भिन्न ⅔ से बड़ा है।

अतः अनुपात 4 : 5 बड़ा है।

अनुपात के विभिन्न रूप:- अनुपात को भिन्न और दसमलाव मे भी व्यक्त कर सकते हैं।

उदाहरणार्थ:- अनुपात 4 : 7 को भिन्न और दशमलव के रूप में व्यक्त कीजिए।

हल:- अनुपात 4 : 7 को भिन्न के रूप मे लिखने पर = 4/7

   अनुपात 4 : 7 को दशमलव के रूप मे लिखने पर = 4/7 = 0.57

समानुपात का शाब्दिक अर्थ :- समानुपात का शाब्दिक अर्थ है- सम + अनुपात अर्थात समान अनुपात।

समानुपात:- दो समान अनुपातों को, समानुपात करते हैं।

अथवा

जब दो अनुपात समान हो तो उनके ऐसे संबंध को समानुपात कहते हैं।

उदाहरणार्थ:- 2 : 4 : : 3 : 6

महत्वपूर्ण बिंदु:- 1. समानुपात को चिन्ह ‘ : : ’ से प्रदर्शित करते हैं।

2. यदि 𝒂 : 𝒃 :: 𝒄 : 𝒅 एक समानुपात हो, तो 𝒂 = प्रथम पद ( पहला पद ) , 𝒃 = द्वितीय पद (दूसरा पद ) , 𝒄 = तृतीय पद ( तीसरा पद ) , 𝒅 = चतुर्थ पद ( चौथा पद ) कहते हैं।

उदाहरणार्थ:- 

                     प्रथम पद      तृतीय पद

                             ↑         ↑

                             𝒂 : 𝒃 :: 𝒄 : 𝒅

                                 ↓          ↓

                        द्वितीय पद      चतुर्थ पद

3. यदि 𝒂 : 𝒃 :: 𝒄 : 𝒅 एक समानुपात हो तो 𝒂 और 𝒅 को बाह्य पद एवं 𝒃 और 𝒄 को मध्य पद कहते हैं

बाह्य पद चरम पदों के नाम से भी जाना जाता है।

उदाहरणार्थ:-     

                              मध्य पद

                               ↓      ↓

                           𝒂 : 𝒃 :: 𝒄 : 𝒅

                           ↑_______↑

                              बाह्य पद

चार राशियों के समानुपात होने का प्रतिबंध:- 1. चार राशियां या संख्याएं या पद समानुपाती होते हैं, जब पहले और दूसरे का अनुपात तीसरे और चौथे के अनुपात के बराबर हो।

उदाहरणार्थ:- क्या 1 : 2 :: 4 : 8 समानुपाती हैं।

हल:- 1 : 2 :: 4 : 8 की 𝒂 : 𝒃 :: 𝒄 : 𝒅 से तुलना करने पर-

 𝒂/𝒃 = ½   और  𝒄/𝒅 = 4/8

 𝒂/𝒃 = ½   और  𝒄/𝒅 =  ½ 

क्योंकि पहले और दूसरे पद का अनुपात तीसरी और चौथी पद के  अनुपात के बराबर है।

अतः राशियां 1 : 2 :: 4 : 8 समानुपाती हैं।

2. यदि चार शून्येतर संख्याएं क्रमानुसार 𝒂, 𝒃, 𝒄, 𝒅 हो तो इनके समानुपाती होने का प्रतिबंध-

                         𝒂𝒅 = 𝒃𝒄

बाह्य (बाहरी) पदों का गुणनफल = मध्य (बीच) पदों का गुणनफल

उदाहरणार्थ:-  क्या 3 : 4 :: 24 : 32 समानुपाती हैं।

हल:- 3 : 4 :: 24 : 32 की 𝒂 : 𝒃 :: 𝒄 : 𝒅 से तुलना करने पर-

      𝒂 = 3,   𝒃 = 4,   𝒄 = 24,   𝒅 = 32

समानुपाती होने का प्रतिबंध-

              𝒂𝒅 = 𝒃𝒄

         3×32 = 4×24

             96 = 96

अतः 3 : 4 :: 24 : 32 समानुपाती हैं।

समानुपात के प्रश्नों में अज्ञात पद ज्ञात करना:- निम्नलिखित समानुपात में दूसरा पद ज्ञात नहीं है-

             8 : [_] :: 7 : 14

अता दूसरे अज्ञात पद के लिए 𝒙 संख्या मानकर समानुपाती पदों के नीचे इस प्रकार लिखते हैं-

             8 : 𝒙 :: 7 : 14

8 : 𝒙 :: 7 : 14 की 𝒂 : 𝒃 :: 𝒄 : 𝒅 से तुलना करने पर-

    𝒂 = 8,   𝒃 = 𝒙,   𝒄 = 7,   𝒅 = 14

बाह्य पदों का गुणनफल = 𝒂𝒅 = 8 × 14 = 112

मध्य पदों का गुणनफल = 𝒃𝒄 = 𝒙 × 7 = 7𝒙

चूंकी 𝒙 मध्य पदों में स्थित है अतः समानुपात में होने के लिए-

मध्य पदों का गुणनफल = बाह्य पदों का गुणनफल

                            7𝒙 = 112

                              𝒙 = 112/7

                  अतः      𝒙 = 16

ऐकिक नियम का अर्थ:- ऐकिक नियम का अर्थ है- एक पर आधारित नियम।

ऐकिक नियम:- ऐकिक नियम एक ऐसी गणितीय संक्रिया है जिसमे एक वस्तु का मूल्य ज्ञात करके अनेक वस्तुओं का मूल्य निकालने की क्रिया की जाती है

ऐकिक का अनुक्रमानुपाती नियम:- एक राशि के बढ़ने पर यदि दूसरी राशि भी उसी अनुपात में बढ़े या एक राशि के घटने पर दूसरी राशि भी उसी अनुपात में घटे, तो यह परस्पर अनुक्रमानुपाती होती है।

उदाहरणार्थ:- 16 कॉपियों का मूल्य ₹160 है तो ऐसे ही 21 कॉपियों का मूल्य ज्ञात कीजिए।

हल:- चूंकि 16 कॉपियों का मूल्य = ₹160

        इसलिए   1 काॅपी का मूल्य = 160/16

                21 कॉपियों का मूल्य = 160/16 × 21

                                           = 10 × 21

                                           = ₹210

ऐकिक का व्युत्क्रमानुपाती नियम:- एक राशि के बढ़ने पर यदि दूसरी राशि उसी अनुपात में घटे या एक राशि के घटने पर दूसरी राशि उसी अनुपात में बढ़े, तो यह परस्पर व्युत्क्रमानुपाती होती है।

उदाहरणार्थ:- 30 मजदूर एक दीवार 6 दिनों में बना सकते हैं। तो 10 मजदूर उसी दीवार को कितने दिनों में बना लेंगे?

हल:- चूंकि 30 मजदूर एक दीवार बनाते हैं = 6 दिनों में

 इसलिए 1 मजदूर उसी दीवार को बनाएगा = 30 × 6

इसलिए 10 मजदूर उस दीवार को बना लेंगे = 30 × 6 / 10

                                                      = 3 × 6

                                                      = 18 दिनों में

इस लेख के बारे में:

आपने इस लेख के बारे में आपने वाणिज्य गणित के बारे में पढ़ा था। उम्मीद करता हूँ की आपको ये लेख पसंद आई होगी।

Leave a Comment