बीजगणित की अवधारणा :- हमारे देश में बीजगणित का अध्ययन प्राचीन काल से ही होता रहा है। बीजगणित वास्तव में अंकगणित का ही व्यापक रूप है। इसकी मुख्य विशेषता यह है कि इसमें संख्याओं के स्थान पर अक्षरों का प्रयोग किया जाता है।
अक्षरों के प्रयोग से हम नियमों और सूत्रों को व्यापक रूप में लिख पाने में समर्थ हो जाएंगे। दूसरी बात यह है कि अक्षर अज्ञात राशियों के स्थान पर भी प्रयोग किए जा सकते हैं। इन अज्ञात राशियों को निर्धारित करने की विधियों को लिखकर हम पहेलियों और दैनिक जीवन से संबंधित अनेक समस्याओं को हल करने के अनेक प्रभावशाली साधन विकसित कर सकते हैं।
संख्याओं से संबंधित जटिल समस्याओं का हल कई बार अंकगणितीय विधियों से नहीं हो पाता है इसके अतिरिक्त समस्याओं को और अधिक प्रभावशाली ढंग से हल करने की आवश्यकता पड़ती है जिसे बीजगणित कहा जाता है।

बीजगणित का प्रारंभ:- यह कहा जाता है कि गणित की एक शाखा के रूप में बीजगणित का प्रारंभ लगभग 1550 ईसा पूर्व में अर्थात् आज से 3500 वर्ष पूर्व हुआ, जब मिश्रवासियों ने अज्ञात संख्याओं को व्यक्त करने के लिए संकेतों का प्रयोग करना प्रारंभ किया था।
300 ईसा पूर्व के आसपास भारत में अज्ञातों को अक्षरों से व्यक्त करना और व्यंजक बनाना एक बहुत सामान्य बात थी। अनेक महान भारतीय गणितज्ञों जैसे आर्यभट्ट (जन्म 476 ईसा पूर्व), ब्रह्मगुप्त (जन्म 598 ईसा पूर्व), महावीर (जो लगभग 850 ईसा पूर्व में रहे) और भास्कर-।। (जन्म 1114 ईसा पूर्व) तथा कई अन्य ने बीजगणित के अध्ययन में बहुत योगदान दिया। उन्होंने अज्ञात राशियों के लिए बीज, वर्ण इत्यादि जैसे नाम दिए और उन्हें व्यक्त करने के लिए रंगों के नामों के प्रथम अक्षरों के रूप में (जैसे पीला से ‘पी’ काला से ‘का’ इत्यादि) का प्रयोग किया। एल्जबरा (Algebra) के लिए भारतीय नाम बीजगणित इन्हीं प्राचीन भारतीय गणितज्ञों के समय का है।
शब्द एल्जबरा लगभग 825 ईशा पूर्व में बगदाद के एक अरब गणितज्ञ मुहम्मद इबन अल खोवारिजमो द्वारा लिखित एक पुस्तक ‘‘अलजिबार वाॅल अल्मुग़ाबालाह’’ के शीर्षक से लिया गया है।
बीजगणित:- गणित की वह शाखा जिसमें बीजों (अक्षरों) के प्रयोग से समस्याएं हल की जाती हैं, बीज गणित कहलाता है।
अक्षर संख्या या बीज:- जो व्यंजक या संकेत, किसी अज्ञात राशि या संख्याओं को दर्शाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं, अक्षर संख्या या बीज कहलाते हैं।
उदाहरणार्थ:- a, b, 𝑥, 𝒚, क, ख, ग इत्यादि।
अक्षर संख्या या बीज को अंग्रेजी वर्णमाला के (a, b, c, d,…… 𝒚, 𝒛) आदि तथा हिंदी वर्णमाला के (क, ख, ग,…….. क्ष, त्र, ज्ञ) आदि अक्षरों से प्रदर्शित करते हैं।
स्मरणीय बिंदु:- 1. 5 × 𝑥 को सामान्यतः 5𝑥 भी लिखा जाता है। बीच में गुणा का चिन्ह नहीं लगाते हैं। यहां 5 एक गुणांक है।
2. 𝑥𝒚 का अर्थ 𝑥 × 𝒚 है
3. 1 × 𝑥 को 1𝑥 न लिखकर केवल 𝑥 लिखा जाता है।
चर :- ऐसी अक्षर संख्याएं जिनका संख्यात्मक मान विभिन्न (अलग-अलग) परिस्थितियों में बदलता रहता है चर कहलाती हैं।
उदाहरणार्थ:- a , b , 𝑥 , 𝒚
स्मरणीय बिंदु:- चर संख्याओं को प्रायः अंग्रेजी वर्णमाला के छोटे अक्षरों (a, b, c, d , …… 𝒚, 𝒛) से निरूपित किया जाता है।
अचर:- ऐसी अक्षर संख्याएं जिनका संख्यात्मक मान प्रत्येक परिस्थिति में अपरिवर्तित रहता है अचर कहलाती हैं।
उदाहरणार्थ:- 1, 2, 3, 4, 5,……….
स्मरणीय बिंदु:- अचर संख्याओं को प्रायः अंक या संख्याओं (1, 2, 3, 4,……..∞) से निरूपित करते हैं
अंकगणितीय संख्याओं के सामान् अक्षर संख्याएं भी योग अंतर और विभाजन संक्रियाओं के प्रगुणों का पालन करती हैं।
1. संवरक प्रगुण:- यदि 𝑥 तथा 𝒚 दो बीजीय (बीज या अक्षर) संख्याएँ हों और 𝑥 + 𝒚 = 𝒛, तो 𝒛 भी बीजीय (बीज या अक्षर) संख्या होती है, यह बीजीय व्यंजक संक्रिया का संवरक प्रगुण है।
उदाहरणार्थ:- 3 + p = p + 3
2. क्रम विनिमेय प्रगुण: यदि 𝒙 तथा 𝒚 दो बीजीय (बीज या अक्षर) संख्याएँ हों, तो 𝒙 + 𝒚 = 𝒚 + 𝒙, यह बीजीय व्यंजक संक्रिया का क्रम-विनिमेय प्रगुण हैं।
उदाहरणार्थ:- p + q = q + p
3. साहचर्य प्रगुण:- यदि 𝒙, 𝒚 तथा 𝒛 कोई तीन बीजीय (बीज या अक्षर) संख्याएँ हो, तो (𝒙 + 𝒚) + 𝒛 = 𝒙 + (𝒚 + 𝒛) = 𝒙 + 𝒚 + 𝒛, यह बीजीय व्यंजक संक्रिया का साहचर्य प्रगुण है।
उदाहरणार्थ:- (7 + p) + 2 = 7 + (p + 2) = 7 + p + 2
4. वितरण प्रगुण:- यदि 𝒙, 𝒚 तथा 𝒛 बीजीय (बीज या अक्षर) संख्याएँ हो, तो 𝒙 × (𝒚 + 𝒛) = 𝒙 × 𝒚 + 𝒙 × 𝒛; इसे बीजीय व्यंजक का वितरण प्रगुण कहते हैं।
उदाहरणार्थ:- 3 × (6 + p) = 3 × 6 + 3 × P
= 18 + 3p
घातांकीय रूप:- किसी संख्या को बार बार अपने आप से गुणा करने के बाद गुणनफल को संक्षिप्त विधि an के रूप में लिखने पर प्राप्त व्यंजक को, घातांकीय रूप कहते हैं।
उदाहरणार्थ:- निम्नलिखित बीजीय व्यंजक को घातांकीय रूप में लिखिए।
- 5×5×𝒙×𝒙×𝒙
- 8×𝒙×𝒙×𝒚
- 6×𝒙×𝒚×𝒚×𝒚×𝒛×𝒛
हल:- (1) 5×5×𝒙×𝒙×𝒙 = 52×𝒙3 = 25𝒙3
(2) 8×𝒙×𝒙×𝒚 = 8×𝒙2×𝒚 = 8𝒙2𝒚
(3) 6×𝒙×𝒚×𝒚×𝒚×𝒛×𝒛 = 6×𝒙×𝒚3×𝒛2
अक्षर संख्याओं की घात:- यदि कोई बीजीय व्यंजक an दिया हो तो a को आधार तथा n को घातांक या घात कहा जाता है।
Chart banana hai
कुछ महत्वपूर्ण घातांकीय सूत्र:-
यदि a एक शून्येतर ( शून्य को छोड़कर अन्य सभी संख्याएं ) तथा m , n दो पूर्णांक है तो :-
1. am × an = am+n
2. am ÷ an = am–n ( m>n )
3. (am)n = am.n
4. a0 = 1
इस लेख के बारे में:
आज की इस लेख में आपने बीजगणित की अवधारणा को पढ़ा। अगर आपके पास कोई सवाल या सुझाव है तो आप हमे कमेन्ट करके अपने सवाल पूछ सकते है। धन्यवाद