जीवमंडल किसे कहते है | jeev mandal kise kahate hain

प्रिय पाठक! Allhindi.co.in पर आप सभी का स्वागत है आज कि इस लेख में आप जानेंगे की जीवमंडल किसे कहते है। इस लेख में आप यह भी जानेंगे की जीवमंडल जीने के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है। जीवमंडल को कितने भागों में बांटा जाता है? जैवमंडल के प्रकार इन सभी के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

यह हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी एकमात्र ऐसी ग्रह है। जिस पर जीवन संभव है। इस पृथ्वी पर जीवन होने की वजह से इसे जीवंत ग्रह भी कहा जाता है इस ग्रह पर मुख्यता तीन मंडल उपस्थित होते हैं वायुमंडल स्थलमंडल और जलमंडल। ये सभी मंण्डल मिलकर इस ग्रह पर जीवन को संभव बनाते हैं। लेकिन क्या तुम जानते हो कि पृथ्वी के बहुत छोटे से भाग पर ही जीवन मौजूद है। आइये सबसे पहले जानते है की जीवमंडल किसे कहते है।

जीवमंडल किसे कहते है
जीवमंडल किसे कहते है

जीवमंडल किसे कहते है ?

जीव मंडल स्थल, जल तथा हवा के बीच का एक सीमित भाग है। यह वह भाग है जहां जीवन मौजूद है। यहां जीवो की बहुत सी प्रजातियां हैं जो कि सूक्ष्मजीवों तथा व्यक्तियों से लेकर बड़े स्तनधारियों के आकार में पाई जाती है। मनुष्य सहित सभी प्राणी जीवित रहने के लिए एक दूसरे से तथा जीवन मंडल से जुड़े हुए हैं। अभी तक आपने जाना की जीवमंडल किसे कहते है आइये अब जानते हैं की जीवमंडल के कितने भाग हैं।

जीवमंडल के भाग:

जीवनमंडल के प्राणियों को मुख्यतः दो भागों जंतु जगत एवं पादप जगत में विभक्त किया जा सकता है।पृथ्वी के यह तीनों परिमंडल आपस में पारस्परिक क्रिया करते हैं तथा एक दूसरे को किसी न किसी रूप से प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए जब लकड़ी तथा खेती के लिए वनों को काटा जाता है तो इसमें उपरी भाग पर मिट्टी का कटाव होने लगता है। इसी प्रकार प्राकृतिक आपदाएं जैसे भूकंप से पृथ्वी की सतह में परिवर्तन हो जाता है।

सुनामी के कारण अंडमान और निकोबार दीप समूह का कुछ भाग पानी में डूब गया। जिलों तथा नदियों से में दूषित पदार्थों के प्रवाहित होने से उनका जल मानव के इस्तेमाल के लायक नहीं रह जाता है। यह जल दूसरे जीवो को भी नुकसान पहुंचाता है। उद्योगों तापीय विद्युत संयंत्रों तथा गाड़ियों का उत्सर्जी पदार्थ वायु को प्रदूषित करता है।

कार्बन डाई ऑक्साइड वायु का एक महत्वपूर्ण घटक है, लेकिन कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि के कारण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हो जाती है। इसको मंडली तापन कहा जाता है इसलिए भूमंडल वायुमंडल जलमंडल के बीच। प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के लिए मानव संसाधनों के सीमित उपयोग की आवश्यकता है।

आइए जानते हैं पृथ्वी के इस छोटे से क्षेत्र में ऐसी क्या खास बात है जिससे यहाँ पर जीवन संभव हो पाया है। जिसने यहाँ पर जीवन को संभव बनाया है। यह इसलिए संभव हुआ है; क्योंकि यहाँ पर बहुत-सी चीजों जैसे ऊर्जा, जीवित प्राणी तथा अजैव चीजों का उचित मिश्रण तथा उनके मध्य अन्योन्य क्रिया पाई जाती है। लाखों वर्षों से प्रकृति ने कुछ ऐसे नियंत्रण और संतुलन बनाए रखें हैं

जिससे बिना किसी समस्या के जीवन के विभिन्न रूप विद्यमान हैं। लेकिन आज स्थिति बदल गई है। आज यह जीवन से परिपूर्ण ग्रह खतरे में हैं। इसका मुख्य रूप पूर्ण रूप से मानव जाति पर जाता है क्योंकि यह खतरा मानव के द्वारा यह गए हस्तक्षेप से हुआ है। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने ठीक ही कहा था। “पृथ्वी के पास मानव की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सब कुछ है; परन्तु उसके लालच के लिए नहीं।”

अगर हम इस अनोखे सीधे-सादे शब्दों में जैवमंडल पृथ्वी की वह संकरी पट्टी है जिसमें सभी प्रकार का जीवन विद्यमान है। क्या तुम जानते हो कि इस पट्टी में जीवन क्यों संभव हुआ? यह इसलिए क्योंकि यही वह क्षेत्र है जहाँ जीवन के लिए आवश्यक तीनों वस्तुएँ उचित मात्रा में मिलती है। ये तीन हैं-धरती (स्थलमंडल) , हवा (वायुमंडल) तथा पानी (जलमंडल) ; अन्य शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि पृथ्वी का वह छोटा भाग जहाँ पर स्थलमंडल जलमंडल तथा वायुमंडल मानव के लिए उपलब्ध होते हैं। यह संकरी पट्टी वह क्षेत्र है जहाँ, स्थलमंडल, वायुमंडल तथा जलमंडल मिलते हैं। हमें इस संकरी पट्टी का महत्त्व समझना चाहिए।

यह वायुमंडल में ऊर्ध्वाकार रूप से लगभग 10 कि।मी। तक विस्तृत है। यह समुद्र में, जहाँ लगभग 10.4 कि।मी। की गहराई तक और पृथ्वी की सतह से लगभग 8.2 कि।मी। की गहराई तक सबसे अधिक सजीव जीव पाए जाते हैं। जीवन के कुछ रूप विषम परिस्थितियों में भी पाए जाते हैं। शैवाल (अलगाई) और थर्मोफिलिक इस प्रकार के जीवन के दो उदाहरण हैं। शैवाल जिसे जीवन के पहले रूप में से एक माना जाता है, बर्फीले अंटार्कटिका जैसे प्रतिकूल पर्यावरण में भी जीवित सकता है। दूसरे छोर पर थर्मोफिलिक (ऊष्मा पसंद करने वाला) जीवाणु सामान्यतः गहरे समुद्र में ज्वालामुखी रंधों में रहता है। जहाँ तापमान 300 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहता है।

वास्तव में ये जीवाणु क्वथनांक (0 ° से ।) से कम तापमान पर जीवित नहीं रह सकते। जब जीवन शुरू हुआ तब स्थिति ऐसी नहीं थी। लगभग 7 अरब वर्ष पहले यह समझा जाता था कि पृथ्वी केवल एक छोटी भूमि है, जो महासागरों के उथले भागों को घेरे हुए है। जीवन के मैं हो रही तेजी से उपलब्धता के संदर्भ में क्षेत्र के विस्तार की प्रवृत्ति के अनुसार यह भविष्यवाणी की जा सकती है कि कुछ हजार वर्षों बाद जैवमंडल का विस्तार ऊपरी क्षोभमंडल से आगे बढ़ सकता है।

इससे पता चलता है कि जीवमंडल का विकास समय के साथ बहुत तेजी से हो रहा है अभी तक आपने जीवमंडल के ऊपरी भाग के बारे में जाना है। लेकिन क्षैतिज रूप से जैवमंडल पूरे ग्लोब को घेरे हुए है, हालांकि सर्वाधिक गर्म और सर्वाधिक ठंडे क्षेत्रों में जीवन संभव नहीं हो सकता है। अधिकतर जीवन एक संकरी पट्टी तक सीमित है, जो प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा सौर ऊर्जा को खींचती है, जिससे कई अन्य प्रकार के जीव जंतुओं के लिए आवश्यक है।

जीवमंडल से जुड़े कुछ सवाल

प्रश्न: जीवमंडल को कितने भागों में बांटा जाता है?

उत्तर: जीवमंडल को निम्न तीन भागो में बाटा गया है|
जंतु जगत
पादप जगत
वनस्पति जगत

प्रश्न:जैवमण्डल जीने के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर: जीवन को जीने के लिए जैवमंडल इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योकि यहाँ पर जीवन को जीने के लिए जो मुख्य घटक (जल, आग, और हवा) की आवश्यकता होती हैं| वह जैवमंडल पर उपलब्ध होती हैं

इस लेख का सारांश

इस लेख में हमने आपको बताया की जीवमंडल किसे कहते है। हम आशा करते हैं कि हमारी यह पोस्ट आपकों पढ़ कर अच्छा लगा होगा। यदि आपकों यह लेख पसंद आई है तो कृपया इसे अपने दोस्तों और जरूरतमंद लोगों के साथ social media पर शेयर जरूर करें. साथ ही इस लेख से संबंधित कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट कर सकते हैं

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