ईद क्यों मनाई जाती है,अर्थ, महत्व, ईद का इतिहास, ईद में रोजा का महत्व [ Eid Kyo Manai Jati Hai, arth, mahatva, eid ka itihas, Eid mein roja ka mahtva ]
भारत विविधता में एकता को जोड़कर रखने वाला देश है। यहां हिंदू धर्म को मानने वालों की संख्या अन्य धर्मों की अपेक्षा अधिक है। फिर भी यहां सभी धर्मों के लोग भाईचारे के साथ मिलजुल कर रहते हैं, और एक दूसरे की खुशियों में शरीक होते हैं। हिंदू धर्म में कई सारे पर्व होते हैं, जिसमें पूरा देश एकजुट होकर उत्सव मनाता है। इसी प्रकार मुस्लिम समुदाय के लोग भी स्वतंत्रता पूर्वक बहुत से त्यौहार मनाते हैं जो हमारे राष्ट्र को खुशियों के रंग और आकर्षण से भर देता है। ऐसा दृश्य आपको किसी और देश में देखने को नहीं मिलेगा।

मुस्लिम धर्म में बहुत से प्रमुख त्यौहार है। लेकिन मुस्लिम धर्म के अनुसार इन त्योहारों में से ईद एक प्रमुख त्योहार है, जिसका मुस्लिम लोगों के साथ-साथ हिंदू मान्यता वाले लोग भी बेसब्री से इंतजार करते हैं। क्योंकि इस दिन उन्हें मुस्लिम भाइयों की तरफ से लजीज सेवैया, और बिरयानी खिलाने के लिए दावत दी जाती है। ईद आनंदता, सुंदरता और प्राकृत मधुर मिलन के भाव को प्रकट करने वाला त्योहार है।
Contents
ईद का अर्थ | Eid ka Arth
ईद का अर्थ है- खुशी, आनंद, खोज और उत्सव मनाना और फित्र का मतलब होता है- रोजे की समाप्ति। फित्र शब्द का एक अन्य अर्थ भी होता है, जो फितरा शब्द से निकलता है जिसका अर्थ है- दक्षिणा। हालांकि रमजान के महीने में गरीबों को दान दक्षिणा देने की परंपरा होती है। जिसे जकात के नाम से भी जाना जाता है। ईद को लोग ईद-उल-फितर कहते हैं। ईद-उल-फितर शब्द अरबी भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ है- फेस्टिवल ऑफ द एंडिंग फास्ट यानी रोजे की समाप्ति का त्यौहार।
ईद क्यों मनाई जाती है [ Eid Kyo Manai Jati Hai ]
जिस तरह होली दिवाली दशहरा जैसे त्यौहार मनाने के पीछे कोई ना कोई खास वजह होती है, इसी तरह इसके पीछे भी एक वजह है। इस दिन आस मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने युद्ध में विजय प्राप्त की थी उनके विजय होने की खुशी में सबका मुंह मीठा करवाया गया था इसी दिन को मीठी ईद या ईद-उल-फितर के रूप में माना जाता है।
ईद कब मनाई जाती हैं [Eid Kab Manayi Jati Hain ]
हिजरी कैलेंडर के अनुसार दसवें महीने यानी शव्वाल के पहले दिन यह त्यौहार दुनिया भर में मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर में यह महीना चांद देखने के साथ शुरू होता है। जब तक चांद नहीं दिखे तब तक रमजान का पाक महीना खत्म नहीं होता है। इस तरह रमजान के आखिरी दिन चांद दिख जाने के बाद अगले दिन ईद मनाई जाती है।
ईद का इतिहास [ Eid Ka Itihas ]
ऐसा माना भी जाता है कि इस दिन हजरत मोहम्मद साहब मक्का शहर से मदीना के लिए निकले थे। मक्का से मोहम्मद पैगंबर साहब के निकलने के बाद मदीना शहर में ईद-उल-फितर उत्सव शुरू हुआ। माना जाता है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब ने जंग-ए-बदर की लड़ाई में जीत हासिल की थी। इस जीत की खुशी में सबका मुंह मीठा कराया था। इसी दिन को ‘मीठी ईद’ या ‘ईद उल फितर’ के रूप में मनाया जाता है।
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार हिजरी संवत दो यानी 624 ईसवी में पहली बार ईद उल फितर मनाया गया था। इसका मतलब है पहली बार ईद 1400 साल पहले मनाई गई थी।
पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बताया कि उत्सव मनाने के लिए अल्लाह ने कुरान शरीफ में पहले से ही दो सबसे पवित्र दिन बताए हैं, जिन्हें ईद-उल-फितर और ईद-उल-जुहा कहा गया है।
ईद में रोज़ा रखने का महत्व [ Eid Mein Roja Rakhne Ka Mahatva ]
मुस्लिम लोगों का मानना है कि रमजान के पाक महीने में रोजा रखने से उनकी आत्मा पवित्र होती है। इस दौरान नमाज और कुरान पढ़ने से उनके लिए नर्क के दरवाजे बंद होते हैं और जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं। एक मुसलमान के लिए इसकी अहमियत का अंदाजा अल्लाह के प्रति उसकी कृतज्ञता से लगाया जा सकता है।
ईद का उद्देश्य [ Eid Ka Uddeshya ]
ईद का त्यौहार दुनिया भर के मुसलमानों का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है। यह त्यौहार भारत सहित पूरी दुनिया में उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार सामाजिक तालमेल, एकता और मोहब्बत का मजबूत धागा है। यह त्यौहार इस्लाम धर्म की परंपराओं का आईना है। ऐसा माना जाता है की रमजान के महीने में कुरान उतारी गई थी इसलिए पूरे महीने मुसलमान कुरान पढ़ते हैं।
Eid se Jude kuch Sawal [ ईद से जुड़े कुछ सवाल ]
प्रश्न: पहला ईद कब मनाया गया था?
उत्तर: हिजरी संवत दो यानी 624 ई0 में पहला ईद मनाया गया था।
प्रश्न: ईद को किन-किन नामों से जाना जाता है?
उत्तर: ईद को मीठी ईद, ईद-उल-फितर के नाम से जाना जाता है।
होमपेज पे जाने के क्लिक करे Click here |