अलंकार किसे कहते हैं (परिभाषा, भेद व उदाहरण) | Alankar Kise Kahate Hain

क्या आप जानते हैं की अलंकार किसे कहते हैं ? अलंकार एक महत्वपूर्ण पाठ हैं जो हर बार बोर्ड की परीक्षाओ के साथं साथ प्रतियोगी परीक्षाओ में पूछे जाते हैं। आइये आज इस अलंकार की परिभाषा के साथ साथ भेद व उदाहरण को जानेंगे। तो आइये आज इस लेख की शुरुआत करते हैं।

अलंकार का क्या मतलब हैं ?

अलंकार का शाब्दिक अर्थ: ‘अलंकार’ शब्द दो शब्दों के मेल से बना है- ‘अलं ‘और ‘कार’। ‘अलं’ का अर्थ है- ‘आभूषण अथवा शोभा’ और ‘कार’ का अर्थ है- ‘करना’। इस प्रकार, अलंकार का शाब्दिक अर्थ है- ‘सजावट करना या शोभा बढ़ाना।’

अलंकार किसे कहते हैं

अलंकार किसे कहते हैं

अलंकार की परिभाषा: काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्वों को, अलंकार कहते हैं। जब कोई स्त्री अपनी सुन्दरता को बढ़ाने के लिए श्रृंगार करती हैं ठीक उसी प्रकार जब हम काव्यो की सुन्दरता बढ़ाते हैं तो हमें अलंकार की जरूरत पड़ती हैं।

अलंकार के भेद

अलंकार के भेद: अलंकार के दो भेद होते हैं-

  • शब्दालंकार
  • अर्थालंकार

शब्दालंकार किसे कहते हैं

शब्दालंकार: काव्य के अंतर्गत जहाँ पर शब्दों के कारण चमत्कार की उत्पन्न होती है, वहाँ शब्दालंकार होता है।

शब्दलंकार के भेद: शब्दालंकार तीन प्रकार के बताए गए हैं-

  • अनुप्रास अलंकार
  • यमक अलंकार
  • श्लेष अलंकार

अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं

(क) अनुप्रास अलंकार: जब काव्य में किसी वर्ण की आवृत्ति हो, अर्थात् एक ही वर्ण एक से अधिक बार आए, तो वहाँ पर अनुप्रास अलंकार होता हैं।

उदाहरण: (अ) चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही थीं जल थल में।
(ब) तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।

स्पष्टीकरण:  इन काव्य पंक्तियों में ‘च’ और ‘त’ वर्ण एक से अधिक बार आये हैं। अतः अनुप्रास अलंकार है। 

यमक अलंकार किसे कहते हैं

(ख) यमक अलंकार: जब एक ही शब्द एक से अधिक बार हो परंतु उसके अर्थ अलग अलग हो, तो वहाँ यमक अलंकार होता है।

उदाहरण: कनक- कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय।
या खाए बौराय जग, वा पाए बौराय ॥

स्पष्टीकरण: इसमें ‘कनक’ शब्द दो बार आया है, जिसमें एक कनक का अर्थ है ‘धतूरा’ और दूसरे कनक का अर्थ है ‘सोना’।

श्लेष अलंकार किसे कहते है

श्लेष अलंकार की परिभाषा: जिन काव्य पंक्तियों में एक शब्द का प्रयोग एक ही बार होता है परंतु उसके अर्थ एक से अधिक होते हैं, वहाँ श्लेष अलंकार होता है।

उदाहरण: चरन धरत चिंता करत, चितवत चारिउ ओर।
सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर ॥

स्पष्टीकरण: इसमें ‘सुबरन’ शब्द के तीन अर्थ बताए गए हैं, पहला ‘अच्छा शब्द’ दूसरा ‘अच्छा रूप-रंग’ और तीसरा ‘स्वर्ण’

विश्लेषण: कवि अच्छे शब्दों की तलाश में रहता है, व्यभिचारी अच्छा रूप-रंग ढूँढता है, और चोर सोने की तलाश में रहता है।

अर्थालंकार किसे कहते है

अर्थालंकार: जिन काव्य पंक्तियों में अर्थों के कारण रोचकता और रमणीयता उत्पन्न होती है, वहाँ अर्थालंकार होता है।

अर्थालंकार के भेद: अर्थालंकार पाँच प्रकार के भेद होते हैं ।

  • उपमा अलंकार
  • रूपक अलंकार
  • उत्प्रेक्षा अलंकार
  • अतिशयोक्ति अलंकार
  • मानवीकरण अलंकार

उपमा अलंकार किसे कहते हैं

उपमा अलंकार: जहाँ एक ही वस्तु की समानता या तुलना समान धर्म के आधार पर दूसरी वस्तु से की जाती है, वहाँ उपमा अलंकार होता है।

उदाहरण:- हरि पद कोमल कमल से

स्पष्टीकरण:- यहाँ भगवान के पैरों की तुलना कमल से की गयी है। अतः यहाँ उपमा अलंकार है।

उपमा अलंकार के अंग: उपमा अलंकार के चार अंग हैं:

उपमा: जिस (साधारण) वस्तु की तुलना किसी दूसरी प्रसिद्ध खास वस्तु से की जाए वह उपमेय है। दूसरे शब्दों में जिसकी उपमा दी जाए, वह उपमेय है। उदाहरण:- मुख चाँद सा सुंदर है।
ऊपर के उदाहरण में मुख उपमेय है।

उपमान: जिससे उपमा दी जाए, उसे उपमान कहते हैं।

उदाहरण:- मुख चाँद सा सुंदर है
ऊपर के उदाहरण में ‘चाँद’ उपमान है।

साधर्म्य (साधारण धर्म): उपमेय और उपमान के बीच पाए जाने वाले सामान्य गुण या विशेषता को साधारण धर्म कहते हैं। उदाहरण: मुख चाँद सा सुंदर है

ऊपर के उदाहरण में ‘सुंदर’ शब्द साधर्म्य अर्थात् साधारण-धर्म है। ‘सुंदरता’ दोनों में ही है अर्थात् सुंदरता उपमेय (मुख) और उपमान (चाँद) दोनों में ही विमान है।

सादृश्यवाचक शब्द: उपमेय और उपमान के बीच समता (समानता) बताने के लिए शब्द का प्रयोग किया जाता है, उसे ‘सादृश्यवाचक शब्द’ कहते हैं। उदाहरण: मुख चाँद सा सुंदर है। ऊपर के उदाहरण में ‘सा’ सादृश्यवाचक शब्द है। सदृश समान तुल्य, ऐसा, जैसा, सादृश्य आदि अन्य सादृश्य वाचक शब्द है।

रूपक अलंकार किसे कहते हैं

रूपक अलंकार: जहाँ उपमेय में उपमान का आरोप हो, वहाँ रूपक अलंकार होता है। उदाहरण: चरण कमल बंदौ हरि राई। स्पष्टीकरण: यहाँ पर भगवान के चरणों में कमल का भेद रहित आरोप है। अतः यहाँ रूपक अलंकार है।

उत्प्रेक्षा अलंकार किसे कहते हैं

उत्प्रेक्षा अलंकार: जिन काव्य पंक्तियों में उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इसके बोधक शब्द है- मनु, मानई, जनु, जानहुँ आदि।

उदाहरण: सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात
मनो नीलमणि शैल पर, आतप परयो प्रभात

स्पष्टीकरण: पीतांबर ओढ़े हुए कृष्ण की कल्पना नीलमणि पर्वत से की गयी है। अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।

अतिशयोक्ति अलंकार किसे कहते हैं

अतिशयोक्ति अलंकार: जहाँ किसी वस्तु, पदार्थ और कथन का वर्णन अत्यधिक बढ़ा चढ़ा कर किया जाता है, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।

उदाहरण: “पानी परात को हाथ छुयो नहिं,
नैनन के जल सो पग धोए।”

स्पष्टीकरण: यहाँ आँसुओं से पैर धोने का वर्णन किया गया है। अतः अतिशयोक्ति अलंकार है।

मानवीकरण अलंकार किसे कहते हैं

मानवीकरण अलंकार: जिन काव्य पंक्तियों में जड़ पर चेतना का आरोप दृष्टिगत होता है, यहाँ मानवीकरण अलंकार होता है।

उदाहरण: अंबर पन घट में डुबो रही।
तारा घट ऊषा नागरी।

स्पष्टीकरण: इन काव्य पंक्तियों में ‘ऊषा’ पर ‘नागरी’ का आरोप मानवीकरण की पुष्टि करता है।

भ्रांतिमान अलंकार किसे कहते हैं

भ्रांतिमान अलंकार: जब एक वस्तु को दूसरी समझकर उसके अनुरूप कार्य आरंभ कर दिया जाए, तो वहाँ भ्रांतिमान अलंकार होता है।

उदाहरण:- “बिल विचारि प्रविसन लग्यो, नाग सुन्ड में व्याल।
करी ऊख भ्रम ताहि को, लियो सूँड़ में डाल।।”

स्पष्टीकरण: यहाँ साँप हाथी की सूँड को बिल समझकर घुसने लगता है, उधर हाथी साँप को काला गन्ना समझकर उठा लेता है। अतः यहाँ भ्रांतिमान अलंकार है।

अलंकार से जुड़े कुछ प्रश्न

प्रश्न: अर्थालंकार किसे कहते है

उत्तर: जिन काव्य पंक्तियों में अर्थों के कारण रोचकता और रमणीयता उत्पन्न होती है, वहाँ अर्थालंकार होता

प्रश्न: अलंकार के कितने भेद होते हैं

उत्तर: अलंकार के दो भेद होते हैं
शब्दालंकार
अर्थालंकार

प्रश्न: उत्प्रेक्षा अलंकार किसे कहते हैं

उत्तर: जिन काव्य पंक्तियों में उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इसके बोधक शब्द है- मनु, मानई, जनु, जानहुँ आदि।

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